


देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान की ऐतिहासिक सफलता के उपलक्ष्य में दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक भावनात्मक और प्रेरणादायक भाषण दिया। उन्होंने मिशन के प्रमुख गगनयात्री शुभांशु शुक्ला की प्रशंसा करते हुए उन्हें “हनुमान जी का भक्त” बताया, जिन्होंने आसमान की ऊंचाइयों को छूकर भारत का गौरव बढ़ाया है।
शुभांशु शुक्ला बजरंगबली के भक्त हैं
राजनाथ सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा - शुभांशु शुक्ला बजरंग बली जी के भक्त हैं और आपने वहां (अंतरिक्ष में) कई बार हनुमान चालीसा का पाठ किया होगा। आज हनुमान जी का एक भक्त आसमान की ऊंचाइयों को छूकर लौटा है। उनके इस बयान पर कार्यक्रम में मौजूद लोग भावुक भी हुए और गर्व से तालियां भी बजाईं। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की आस्था और संस्कृति की भी विजय है।
आध्यात्मिकता के साथ विज्ञान की उड़ान
राजनाथ सिंह ने गगनयान मिशन को केवल वैज्ञानिक पहलू से नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक पहचान से जोड़ते हुए कहा - भारत की आत्मा विज्ञान में नहीं खोई है। यहां विज्ञान और श्रद्धा दोनों साथ चलते हैं। गगनयान इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में रहकर भी हनुमान चालीसा का पाठ किया, वह भारतीयता की ताकत को दर्शाता है।
हनुमान चालीसा पढ़ने से मिली शक्ति
शुभांशु शुक्ला ने मिशन कंट्रोल से संवाद के दौरान बताया था - हर दिन मैं अंतरिक्ष में हनुमान चालीसा पढ़ता था। इससे मुझे मानसिक ऊर्जा और आत्मबल मिला। जब पृथ्वी से सैकड़ों किलोमीटर दूर होता है, तो ईश्वर की याद और भी ज़्यादा आती है।
एक नए भारत की झलक
गगनयान मिशन ने न केवल भारत को अंतरिक्ष तकनीक में अग्रणी बनाया है, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत की आध्यात्मिक जड़ें आधुनिक विज्ञान के साथ मजबूती से खड़ी हैं। राजनाथ सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत आने वाले वर्षों में विज्ञान और संस्कार दोनों में दुनिया का मार्गदर्शक बनेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह बयान कि “हनुमान जी का भक्त आसमान छूकर लौटा है”, महज़ एक वाक्य नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संदेश है — कि भारत जब उड़ता है, तो अपने संस्कारों के साथ उड़ता है। गगनयान सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास, श्रद्धा और वैज्ञानिक सोच का प्रतीक बन गया है।